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क्या विश्वकर्मा समाज के आराध्य देव भगवान विश्वकर्मा जी काल्पनिक हैं

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2018 में स्कूल के बच्चों से कहा था कि ऐसी कल्पना है कि जिन्होनें धरती का सृजन किया वे विश्वकर्मा थे

चौथा अक्षर संवाददाता
अजमेर
2018 में स्कूली बच्चों के साथ अपना 68वां जन्मदिन मनाने नरउर गांव के प्राथमिक विद्यालय पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्कूली बच्चों के साथ ‘मन की बात’ के दौरान विश्वकर्मा जयंती का जिक्र कर उनसे विश्वकर्मा की भांति रचयिता बनने का आह्वान किया था । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्कूल के बच्चांे के उस आयोजन में विश्वकर्मा समाज के आराध्य देव भगवान विश्वकर्मा जी को काल्पनिक व कामगार पुरुष बताया था । प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि हर मेहनत करने वाला व्यक्ति विश्वकर्मा है। जो व्यक्ति मकान बनाता है, बिजली के तार लगाता है, सड़कें बनाता हैं, वह विश्वकर्मा है। उन्होनें बच्चों से कहा कि ऐसी कल्पना है कि जिन्होनें धरती का सृजन किया वे विश्वकर्मा थे जिसको लेकर एक विवाद खड़ा हो गया कि अगर विश्वकर्मा समाज के आराध्य देव भगवान विश्वकर्मा जी काल्पनिक हैं तो श्रवण कुमार के कातिल दशरथ के पुत्र राम भगवान कैसे हुए । विश्वकर्मा भगवान अगर काल्पनिक हंै तो जिनका वेद पुराणों में जिक्र भी नहीं है वे भगवान मनुष्य से भगवान कैसे हुए और अगर ऐसा है तो ये मंदिर मूर्तियों में जनता का पैसा क्यों बर्बाद कर रहे है यह सवाल विश्वकर्मा वंशज एकता मंच इंडिया के संचालन कर्ता मुकेश कुमार जांगिड़ ने उठाया है।

उनका कहना है कि विश्वकर्मा समाज के बारे में तमाम प्रकार की भ्रांतियां फैला कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा हमारे आराध्य देव भगवान विश्वकर्मा जी को काल्पनिक पुरुष बताया जाना बहुत ही निंदनीय और शर्मनाक है। मोदी समर्थक विश्वकर्मा वंशज क्या हमें बताएंगे कि जब हमारे आराध्य देव भगवान विश्वकर्मा जी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्कूल के बच्चो के एक आयोजन में काल्पनिक व कामगार पुरुष बताया तब किसी ने इसका प्रतिरोध क्यों नहीं किया क्या अपने आराध्य को काल्पनिक बताए जाने पर अस्तित्व पर चर्चा करनी चाहिए।

अगर हमारे आराध्य देव भगवान विश्वकर्मा काल्पनिक हैं तो बाकी के देवता या भगवान काल्पनिक ही हैं क्या। विश्वकर्मा समाज के किसी भी व्यक्ति, संगठन, संस्था द्वारा इसका प्रतिरोध नहीं किया गया जाहिर सी बात है कि समाज के लोग भी आराध्य देव भगवान विश्वकर्मा जी काल्पनिक मान बैठे हैं तभी तो किसी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उस वक्तब्य का विरोध नहीं किया।
मुकेश कुमार ने कहा कि आप किस बात के घमंड में राजनीतिक पार्टियों की जयकार कर रहे हो। एकजुट होकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन करो लेकिन विश्वकर्मा वंशजों का शोषण व गुमराह मत करो जो अपने आराध्य देव के प्रति खड़े होकर आवाज नहीं उठा सकते वो विश्वकर्मा वंशज समाज का भला क्या खाक करंेगे। उन्होंने कहा कि 17 सितम्बर को सरकारी अवकाश घोषित किया जाय इसके लिए सरकार घोषणा नहीं आदेश जारी करे व सम्पूर्ण भारत में विश्वकर्मा वंशज समाज की एक नाम एक पहचान हो व स्थाई आरक्षण लागू हो और ओबीसी में 20 प्रतिशत आरक्षण रिजर्व हो या या फिर सबको जनरल में शामिल किया जाय और अगर ऐसा न हो तो भारतीय जनता पार्टी का सामूहिक बहिष्कार करो ताकि आने वाली पीढ़ियों का रास्ता साफ हो। यह कड़वी हकीकत सच्चाई है 95 प्रतिशत विश्वकर्मा वंशज बीजेपी समर्थक हैं लेकिन एमएलए एमपी एक भी नहीं। इससे दुर्भाग्य पूर्ण और क्या हो सकता है क्योंकि बीजेपी आरएसएस वाले आपकी मानसिकता को समझकर ही आपका शोषण कर रह हैंे इसलिए विचार धारा से हटकर विचार विमर्श करंे ।

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