बिहार

गाली गलौज व जातिसूचक शब्दों का प्रयोग जिला योजना अधिकारी अर्जुन सिंह की आदत में शुमार है

जिला योजना पदाधिकारी अर्जुन सिंह का रवैया पहले से ही दलित और पिछड़े वर्ग के कर्मचारियों के प्रति दुर्व्यवहार पूर्ण

चौथा अक्षर संवाददाता
बेगूसराय
आजादी के इतने दिनों बाद भी तमाम उच्च वर्ग के दिल दिमाक से जातिवादी व्यवस्था कम होने का नाम नहीं ले रही है और वे आये दिन पिछड़े दलित वर्ग के लोगों को अपमानित करने और प्रताड़ित करने से बाज नहीं आ रहे हैं। यहां तक कि अगर इस प्रताड़ना की शिकायत पुलिस या अन्य महकमे में की जाती है तो उनकी प्राथमिक रिपोर्ट तक नहीं लिखी जाती। ऐसा ही एक मामला डी आर सी सी बेगूसराय के अनुसूचित जनजाति के चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी राकेश रंजन के साथ घटित हुआ।

प्राप्त जानकारी के अनुसार विगत दिनों १३ जुलाई २०२० को डी आर सी सी बेगूसराय के पार्किंग स्थल पर एक छोटी सी बात पर जिला योजना पदाधिकारी अर्जुन सिंह ने वहां मौजूद अनुसूचित जनजाति के चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी राकेश रंजन के साथ गाली गलौज किया और उनके साथ मारपीट की। मामले की शिकायत और घटना स्थल पर मौजूद लोगों के बयान लेने के बावजूद उनकी प्राथमिकी तक नहीं दर्ज की गयी। दिलचस्प बात यह की इस मामले में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग द्वारा पुलिस अधीकक्ष और जिलाधिकारी को निर्देश दिए जाने के बावजूद अभीतक मामला नहीं दर्ज किया गया।

यही नहीं जिला योजना अधिकारी अर्जुन सिंह द्वारा अपने स्थानीय ठेकेदारों के जरिये केस को वापस लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा है और स्थानीय विधायक के गुर्गों को भेजकर धमकी दी जा रही है।

उल्लेखनीय है की जिला योजना पदाधिकारी अर्जुन सिंह का रवैया पहले से ही दलित और पिछड़े वर्ग के कर्मचारियों के प्रति दुर्व्यवहार पूर्ण रहा है। बताया जाता है कि अर्जुन सिंह आदतन गाली गलौज व जातिसूचक शब्दों का अक्सर प्रयोग करते रहते हैं।

इस बाबत पहले भी उनके खिलाफ जिलाधिकारी बेगूसराय और विभागीय मंत्री से शिकायत की जा चुकी है और इनके खिलाफ सरकारी कर्मचारियों के ऊपर किया जाने वाला सबसे कठोरतम कार्रवाई प्रपत्र का गठन किया जा चुका है और बेगूसराय के जिलाधिकारी के शिकायत पर सम्बंधित विभाग ने विभागीय कार्रवाई करते हुए विभागीय अधिसूचना संख्या २९१ दिनांक २०-०१ -२०२० द्वारा बिहार सरकारी सेवक (वर्गीकरण नियंत्रण एवं अपील ) निमावली २००५ के नियम १४ (i) एवं (v) के तहत अर्जुन सिंह के दो वेतन वृद्धियों पर रोक लगा दी गयी है। बावजूद इसके पिछड़े और दलित कर्मचारियों को प्रताड़ित करने और गालीगलौज के उनके व्यवहार और आदत में कोई कमी नहीं आयी। राकेश रंजन के साथ हुई तात्कालिक घटना को दो माह बीत जाने के बाद भी प्रशासन द्वारा अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी और पुलिस अधिक्क्षक बेगूसराय का रवैया भी इस मामले में लीपापोती का दिखाई पड़ रहा है क्योंकि उनसे जब इस सम्बन्ध में बात की गयी तो उनका कोई स्पष्ट जवाब नहीं था बल्कि टरकाऊ जवाब दिया। दबाव और धमकियों के चलते राकेश रंजन बेहद परेशान और निराशाजनक और उचित कार्रवाई के इंतजार में है।

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