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फिर अगली तारीख-सरकार ने कहा, अब 8 जनवरी को बात करेंगे
किसान नेताओं ने साफ़ कर दिया है कि उनका पूर्व का कार्यक्रम जस का तस है और पूर्व निर्धारित तरीके से चलेगा

चौथा अक्षर संवाददाता
दिल्ली
केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले चालीस दिन से दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों की मुश्किलें रात भर हुई बारिश ने और बढ़ा दी हैं. किसान नेताओं के साथ सरकार की आज की बैठक फिर बेनतीजा खत्म हो गई। चार घंटे तक चली बैठक में तीन कृषि क़ानूनों पर चर्चा हुई। आज एमएसपी पर बात नहीं हो सकी। बैठक में किसान यूनियनों ने कृषि क़ानून वापस लेने की मांग दोहराई, वहीं सरकार ने उसके फायदे गिनाए। अगली बैठक 8 जनवरी को दोपहर दो बजे होगी।
#UPDATE | New Delhi: The meeting between agitating farmer leaders and government concludes at Vigyan Bhawan.
Next round of talks to be held at 2 pm on January 8. https://t.co/5AtK2LTB9n
— ANI (@ANI) January 4, 2021
दोनों पक्षों ने करीब एक घंटे की बातचीत के बाद लम्बा भोजनावकाश लिया। किसान संगठनों के प्रतिनिधि अपना भोजन लेकर आये थे। ‘लंगर’ से आए इस भोजन को उन्होंने खाया। हालांकि 30 दिसंबर की तरह आज केंद्रीय नेता लंगर में शामिल नहीं हुए और भोजनावकाश के दौरान अलग से चर्चा करते रहे जो करीब दो घंटे तक चली। किसान नेताओं ने साफ़ कर दिया है कि उनका पूर्व का कार्यक्रम जस का तस है और पूर्व निर्धारित तरीके से चलेगा।
Discussion took place on our demands — repeal of the three laws and MSP… Kannon wapasi nahi, to ghar wapasi nahi (We will not go home until the laws are withdrawn): Rakesh Tikait, Spokesperson of Bharatiya Kisan Union https://t.co/opDKdxyX1D pic.twitter.com/8v4qzbUX7B
— ANI (@ANI) January 4, 2021
बैठक के बाद प्रेस कांफ्रेंस में राकेश टिकैत ने कहा, “सरकार ने प्वाइंट वाइज बात करने को कहा। हमने कहा नहीं चाहिए हमें क़ानून फिर क्या बात करें प्वाइंट वाइज। जब हम क़ानून मानते ही नहीं तो उस पर प्वाइंट वाइज क्या बात करें। इसी पर गतिरोध बना रहा।” टिकैत ने कहा कि हमारा आंदोलन जारी रहेगा। डा. दर्शन पाल ने बताया, “एमएसपी पर क़ानून को लेकर गतिरोध रहा। हमने क़ानून वापस लेने की बात की वो संशोधन पर बात करते रहे। फिर सरकार ने कहा कि पहले एमएसपी पर बात कर लें। हमने कहा, तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की प्रक्रिया पर पहले बात कीजिए। इस के बाद सरकार ने कहा, अब 8 जनवरी को बात करेंगे।”
किसान नेताओं ने मीडिया से कहा, “सरकार घबराई हुई है, लेकिन वो संशोधन से आगे नहीं बढ़ रही है। सरकार जब तक क़ानून वापस नहीं लेती, और एमएसपी पर खरीद की गारंटी का क़ानून बनाने की गारंटी नहीं देती तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
We wanted farmer unions to discuss three laws clause-wise. We could not reach any solution as farmer union remained adamant on the repeal of the laws: Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar pic.twitter.com/LOC0WHFv1U
— ANI (@ANI) January 4, 2021
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रेस को संबोधित करते हुए बताया, “सरकार प्वाइंट टू प्वाइंट बात करना चाहती थी, ताकि रास्ता निकल सके। एमएसपी पर थोड़ी बात हुई। माहौल अच्छा था, लेकिन किसान नेताओं के कृषि कानूनों को रिपील करने के मुद्दे पर अड़े रहने के चलते नतीजा नहीं निकल सका। अगली बैठक में उम्मीद करते हैं कि कोई नतीजा निकले। सरकार और किसानों के बीच रजामंदी के चलते ही 8 जनवरी की बैठक तय हुई है। इससे जाहिर है कि किसान यूनियनों को सरकार पर भरोसा है।
जब किसान कृषि क़ानूनों को रिपील करवाने के मुद्दे पर अडिग हैं तो सरकार उस दिशा में क्या नहीं आगे बढ़ती? आखिर बातचीत के नाम पर किसानों को तारीख पर तारीख क्यों मिल रही है? एक पत्रकार के इस सवाल के जवाब में कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा, “देश में करोड़ों किसान हैं। सरकार देश भर के किसानों का हित ध्यान में रखकर सोचती है। सरकार ने क़ानून बनाया है तो किसान हित को ध्यान में रखकर ही बनाया है। सरकार को बहुत कुछ देखना पड़ता है। किसी भी नतीजे तक पहुंचने के लिए तालियां दोनों हाथ से बजती हैं।”
हालांकि, तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने और फसल की खरीद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था को लेकर कानूनी गारंटी पर अब तक कोई सहमति नहीं बन पायी है। पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत कम से कम 12 राज्यों के हजारों की संख्या में किसान कृषि संबंधी तीन कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर पिछले एक महीने से अधिक समय से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के आसपास प्रदर्शन स्थल पर भारी बारिश और जलजमाव एवं जबर्दस्त ठंड के बावजूद किसान डटे हुए हैं।
बैठक के दौरान सरकार लगातार तीनों कृषि कानूनों के फायदे गिनाती रहती है जबकि किसान संगठन इन कानूनों को वापस लेने पर जोर देते रहे हैं। सरकार इन्हें महत्वपूर्ण कृषि सुधार के रूप में पेश कर रही है, जबकि किसानों का साफ़ कहना है कि ये कानून खेती-किसानी को बर्बाद करेंगे और किसान कारपोरेट के चंगुल में फंस जाएगा। किसान इन कानूनों को गुलामी की और धकेलने वाला कदम बताते हैं।
सूत्रों ने बताया कि तोमर ने रविवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की और मौजूदा संकट के जल्द समाधान के लिए सरकार की रणनीति पर चर्चा की, लेकिन इसकी कोई झलक आज की बैठक में नहीं दिखाई दी। इस बीच किसान नेताओं ने साफ़ कर दिया है कि उनका पूर्व का कार्यक्रम जस का तस है और पूर्व निर्धारित तरीके से चलेगा।